🥀मधुमीत🥀
🪷🪷🪷🪷
जीवन के अगणित पन्नों पर अंकित तुम मधुमीत मेरे!
अक्षर - अक्षर शब्द-शब्द में है रंग सिंदूरी बिखरे तेरे!!
पग पग तेरे पग चला मैं,
तुम मेरे विश्वास प्रिये!
प्रणय पवित्र डोर बंध मैं,
प्रेम गीत गाऊँ प्रिये!!
लिखूँ मैं अनुराग खनकती पनघट की गागर पर तेरे!
जीवन के अगणित पन्नों पर अंकित तुम मधुमीत मेरे!!
अंतर से उठती है हिलोरें,
राह थकते साँझ सवेरे!
प्रदीप्त प्रेम के उजाले में,
मन - पंछी तेरे सहारे!!
शशि दर्पण में तुम्हें देख प्रिये रीझकर आया पास तेरे!
जीवन के अगणित पन्नों पर अंकित तुम मधुमीत मेरे!!
पुलकित ठाढ़े रोमावली,
जाने चित की चोरी!
निहाल मन आनंदित है,
नहीं रही अब कोरी!!
अंतर्निहित परिधि में झंकृत श्वास - श्वास है प्रिय तेरे!
जीवन के अगणित पन्नों पर अंकित तुम मधुमीत मेरे!!
स्पर्श प्रथम प्रिय तुम्हारे,
स्मृति मधुरिम बने!
द्वंद जीवन का शेष नहीं,
देव अब विशेष बने!!
शब्दों की मोती चुनकर मैं गल - हार बन जाऊँ तेरे!
जीवन के अगणित पन्नों पर अंकित तुम मधुमीत मेरे!!
✍🏻 देवेन्द्र हिरवानी
कन्हारपुरी वार्ड नं ३४
राजनांदगांव(छ.ग.)
३१/०१/२०२३