शत् शत् नमन
शत् शत् नमन उन वीरों को
जिनको हम हैं आज भूल गए
जो थे आजादी की खातिर
फांसी पर खुशी से झूल गये।
बिस्मिल-अश्फाक-लाहिड़ी-आजाद ने
देश हित दी अजब कुर्बानी थी
गोरों से लड़ आजादी की खातिर
लहू से लिखी अमर कहानी थी ।।
काकोरी काण्ड प्रसिद्ध ट्रेन लूट में
घमंड अंग्रेजों का वीरों ने तोड़ा था
सेंधमार लूट ब्रिटिश ख़ज़ाने को
पाई-पाई आजादी-कोष में जोड़ा था।।
एक वो थे हमारी आजादी खातिर
आजादी-कोष में पाईं-पाई जोड़ रहे
दूजे हम आज डूबे निज स्वार्थ से
लूट देश, काला-धन संग देश छोड़ रहे।
कुर्बान किया भविष्य की खातिर
क्यों हैं हम आज उन्हें भूल रहे,
नहीं समझे हम आजादी की कीमत
आजाद देश में आजादी ढूंढ रहे ।।
कंगूरे का बाहरी सौंदर्य देख
मन ही मन हम डोल रहे
आजाद देश जिस पर खड़ा है
उस नींव की ईट को भूल रहे ।।
✍️ पी एल सेमवाल
एक पूर्व सैनिक व पूर्व शिक्षक
मसरास, नैनबाग, टिहरी गढ़वाल
उत्तराखंड