"नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं"
आर्यावर्त के पुत्र हैं विक्रम संवत भूल ना पाएंगे
अंग्रेजी कैलेंडर से क्यूं हम नया साल मनाएंगे
बूढ़े बच्चों के लिए वह, पाषण हृदय निष्ठुर रहीं
वनस्पति और प्रकृति सारी ठण्ड हवा से ठिठुर रहीं
पतझड़ निर्झर प्रकृति देखों सहमी शिथिल गर्व में
कैसे नव वर्ष समाएगा अंत: स्थल उर अर्णव में
अभी कहा वसंत आगमन, कहा अभी वह नरमी हैं
धुंध श्वेत के चादर ओढ़े, वसुधा की प्रकृति सहमी हैं
पुरखों के सद्भाव हमारे संस्कृति की यह थाती हैं
आर्यावर्त भारतखण्ड की संस्कृति पुत्र की भाती हैं
यह नव वर्ष उन्हें मुबारक हो, जो अंग्रेजों के टट्टू हो
यह नव वर्ष उन्हें मुबारक हो, जो अंग्रेजी पर लट्टू हो
फाल्गुन के चंचल रंग बिरंगी घर में खुशियां लाएगा
चैत्र प्रतिपदा शुक्ल पक्ष में नव वर्ष हमारा आएगा
इंजी.नवनीत पाण्डेय
सेवटा (चंकी)