महापण्डित राहुल सांकृत्यायन जी काव्य परिचय
कुलवंती देवी गोवर्धन, पाण्डेय जी के सुपुत्र थे
आजमगढ़ जिला, भारत माता के भी पुत्र थे
छत्तीस भाषा ज्ञानी, यायावरी कला में प्रवीण थे
विदेशों की यथार्थ यात्रा, शोध खोजों में नवीन थे
नौ अप्रैल तिरानवे ननिहाल पन्दहा में प्रादुर्भाव थे
सांकृत्य गौत्र ब्राह्मण कुल, कनैला पैतृक गाँव थे
रानी की सराय मदरसा, शिक्षा का शुरुआत था
राहुल जी को प्रमाण पत्र, मैट्रिक तक प्राप्त था
बालवस्था दुलारी देवी से परिणय सूत्र धार था
एशिया में लोला स्मृत तोलना, से पनपा परिवार था
कमला सांकृत्यायन जी से बढ़ता गया परिवार था
साहित्य सामाजिक सेवा, जीवन के आधार था
केदारनाथ पाण्डेय, दामोदर दास कई उपनाम थे
जिज्ञासा ज्ञान वाली, काशी के पण्डितों में नाम थे
पहली उड़ान काशी, कलकत्ता में विराज मान थे
तीसरी कलकत्ता और घुमक्कड़ी के वरदान थे
पन्द्रह वर्ष परसा मठ, दक्षिण भारत भ्रमण सार थे
तीन रुपए जोड़ी कपड़ा, तिरूमशी मठ पर फरार थे
असहयोग आन्दोलन में छपरा सारण में भागीदार थे
किसान आंदोलन में, नागार्जुन जी के साथ गिरफ्तार थे
कर्म स्थली बिहार, शोषित पीड़ित समाज के आवाज थे
मध्य एशिया का इतिहास लिख, किए बड़े काज थे
काशी से महापण्डित की उपाधि, कर्मों के परिणाम थे
बौद्ध धर्म अपना के परिवर्तन किए अपना नाम थे
रूस तिब्बत चीन नेपाल, बौद्ध धर्म प्रचारक परिणाम थे
भारत भूमि गंगोत्री काशी प्रयागराज मोक्ष्य धाम थे
भारत में प्रोफेसर हेतु ब्रिटिश कानून व्यवधान था
श्रीलंका में त्रिपिटका चार्य उपाधि से सम्मान था
दर्शन दिग्दर्श, वोल्गा से गंगा, सप्तमी के बच्चें यथार्थ था
ल्हासे की ओर,भागों नहीं दुनिया को बदलों यथार्थ था
सिंह सेनापति विस्मृत यात्री, कनैला की कथा साक्ष्य था
परिस्थितियों से आगे बढ़कर सदैव चलने को बाध्य था
भाषा लेखन पर पकड़, सरस्वती देवी का वरदान था
भारत सरकार द्वारा, पद्मभूषण अलंकरण प्रदान था
यथार्थ घटना पर रचना, लिखने घूमने के शौकीन थे
चौदह अप्रैल तिरसठ, दार्जलिंग पंच तत्व में विलीन थे
इंजी. नवनीत पाण्डेय
सेवटा (चंकी)