हर पक्ष तेरा ही भारी
भले ही ना हो तन की शक्ति
पर जरूरत पड़े तो बन जाए चंडी
ना हो उनके पास बल
पर जरूरत पड़े तो
लक्ष्मी बाई बन कर दे
सबको विफल
भले ना हो इनके पास धन
पर जरूरत पड़े तो
लक्ष्मी बन कर
दे दे अन्न- धन
तेरे पास है गुणों की खान
तुमसा ना है कोई समान
सभी कहते हैं स्त्री पुरुष
सब पक्ष समान
पर कह रही अनामिका
सृजन पक्ष है तेरा महान
जो करता है सृष्टि का उत्थान
बिन नारी नर है वैसे
जैसे पतंग बिन डोर है जैसे
कहा गया है शास्त्रों में हमसे
जैसे ऊपर ईश्वर नारी नीचे वैसे एक ने संसार रचाया
दूसरे ने उसे संवारा
है तुझ में सृजन की शक्ति
इसलिए कहलायी सृजनकर्ता
तुझ में आस्था की भक्ति
इसलिए कहलायी तु शिव शक्ति
है तुझ में स्नेह की शक्ति
इसलिए स्नेहलता कहलायी
है तुझ में पवित्रता की शक्ति इसलिए पूजा हुई हर जगह
हर पक्ष है तेरा भारी
फिर भी कहे सब तुझे अबला नारी
फिर भी समझ ना आए अनामिका को
जो नारी है जीवनदायिनी
वह कैसे हो जाती है बेचारी
क्यों स्त्री होती है पसंद सबको
पर उसकी स्वतंत्रता
किसी को नहीं
किसी को भी नहीं।।
अनामिका अमिताभ गौरव
आरा (बिहार)